एक गाँव में एक किसान था, जिसके आँगन के पेड़ पर एक कौआ रहता था। किसान और कौआ के बीच एक अनोखी दोस्ती थी। हर रोज़, किसान सुबह उठकर पहले कौए को खाना देता और फिर खुद खाता। दिन के समय, कौआ ब्रह्माजी के दरबार तक उड़कर जाता और वहाँ की सभी बातें सुनता। शाम को वापस आकर, वह उन सभी बातों को किसान के साथ साझा करता।
एक बार, कौआ ने ब्रह्माजी के मुख से सुना कि उस साल बारिश नहीं होगी और अकाल पड़ेगा। लेकिन पहाड़ों पर खूब बारिश होगी। कौआ ने यह जानकारी किसान के साथ साझा की, और किसान ने पहाड़ पर खेती शुरू कर दी। जब लोगों ने किसान को पागल कहा, तो किसान ने उनसे कहा कि कौआ उसका दोस्त है और वह हमेशा उसे सही रास्ता दिखाता है।
उस साल सूखा पड़ा, लेकिन किसान के पास अनाज का भंडार था। अगले साल, कौए ने सुना कि बारिश तो होगी, लेकिन फसल को कीड़े चौपट कर देंगे। कौए ने किसान को सलाह दी कि वह मैना पंछी और छछूंदर को ले आए ताकि वे कीड़ों को खा जाएँ। इस बार भी किसान ने अपने घर में ढेर सारा अनाज इकट्ठा किया।
फिर एक बार, कौआ ने सुना कि फसलों पर चूहे टूट पड़ेंगे। कौए ने किसान को सलाह दी कि इस बार उसे बिल्लियों को न्योता देना पड़ेगा। किसान ने बिना समय गवाएं ढेर सारी बिल्लियों को अपने खेतों में बुलाया। इस बार आस-पास के लोगों ने भी किसान की बात मानी और अपने खेतों के लिए बिल्लियों को लाए। नतीजतन, उस साल भी किसान ने अपने घर में ढेर सारा अनाज इकट्ठा किया और चूहों के आतंक से अपनी फसल को बचाया।
इस अनोखी दोस्ती की कहानी से सीखने को मिलता है कि प्रकृति से जुड़े रहकर और उसके संकेतों को समझकर हम अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना कर सकते हैं। कौआ और किसान की दोस्ती ने न केवल उनकी जिंदगी को बेहतर बनाया बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी एक मिसाल कायम की।
कौए की समझदारी और किसान की दृढ़ विश्वास ने साबित किया कि सही जानकारी और समय पर की गई कार्रवाई से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
सदैव प्रसन्न रहिये। जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है।
✍️ यह प्रेरक प्रसंग हमें यह सिखाता है कि प्रकृति के प्रति सजग रहना और उससे सीखना हमें जीवन में सफलता की ओर ले जा सकता है। हमें अपने आसपास के जीव-जंतुओं और प्रकृति के संकेतों को समझने की कोशिश करनी चाहिए और उनसे सीखने का प्रयास करना चाहिए।