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वैदिक पंचांग: 20 फरवरी 2024 के आध्यात्मिक महत्व और एकादशी व्रत के लाभ

“वैदिक पंचांग: 20 फरवरी 2024 के आध्यात्मिक महत्व और एकादशी व्रत के लाभ”

20 फरवरी 2024, मंगलवार का दिन वैदिक पंचांग के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन माघ मास की एकादशी तिथि मनाई जाएगी, जिसका आध्यात्मिक महत्व और लाभ असीम है। नई दिल्ली के समयानुसार, सूर्योदय 06:55 पर होगा और सूर्यास्त 18:14 पर, जो इस दिन की पावनता को और भी बढ़ाता है।

एकादशी व्रत का महत्व

एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, जिसे प्रत्येक माह की ग्यारहवीं तिथि पर किया जाता है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा और उपवास करने का विशेष महत्व है। एकादशी व्रत रखने से भक्तों को न केवल आत्मिक शुद्धि और संतोष प्राप्त होता है, बल्कि यह व्रत उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी ले जाता है।

एकादशी तिथि और नक्षत्र

इस वर्ष, 20 फरवरी को एकादशी तिथि सुबह 09:58 तक है, जिसके पश्चात द्वादशी तिथि आरंभ होती है। इस दिन आर्द्रा नक्षत्र दोपहर 12:13 तक रहेगा, जिसके बाद पुनर्वसु नक्षत्र का आरंभ होगा। यह तिथि और नक्षत्र भक्तों को विशेष आध्यात्मिक लाभ और शक्ति प्रदान करते हैं।

विशेष आयोजन और महत्व

20 फरवरी को विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं, जैसे कि भीष्म एकादशी व्रत, भैमी एकादशी (बंगाल में), और भीष्म द्वादशी, जो कल भी मनाया जाएगा, जिसमें भीष्मोद्देश्य से तर्पण किया जाता है। इसके अलावा, तिल द्वादशी और तिलोत्पत्ति का भी विशेष महत्व है, जो कृषि और प्रकृति से संबंधित हैं। श्री श्यामबाबा जागरण जैसे आध्यात्मिक जागरण कार्यक्रम भी इस दिन आयोजित किए जाते हैं, जो भक्तों को धर्मिक उत्सव में सम्मिलित होने का अवसर प्रदान करते हैं।

इस दिन शक फाल्गुन मास का आरंभ भी होता है, जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक महत्वपूर्ण मास है। शुक्र श्रवण नक्षत्र में प्रवेश करता है, जो ज्योतिषीय महत्व रखता है। विघ्नकारक भद्रा का समापन भी इसी दिन होता है, जो शुभ कार्यों के लिए अच्छा समय माना जाता है।

राव श्री बीरेन्द्र सिंह जयन्ती और श्री नेदुरुमल्ली जनार्दन रेड्डी जयन्ती जैसे महान व्यक्तित्वों की जयंती भी इस दिन मनाई जाती है, जो उनके योगदान को याद करते हैं। श्री शरतचंद्र बोस स्मृति दिवस भी इसी दिन पड़ता है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता की याद दिलाता है।

अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्थापना दिवस भी 20 फरवरी को मनाया जाता है, जो इन राज्यों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को उजागर करता है। इसके साथ ही, विश्व सामाजिक न्याय दिवस भी इस दिन मनाया जाता है, जो समाज में समानता और न्याय की महत्वपूर्णता को रेखांकित करता है।

आज की वाणी
*प्रयोजनेषु   ये  सक्ता*
     *न  विशेषेषु    भारत।*
*तानहं पण्डितान् मन्ये*
     *विशेषा हि प्रसङ्गिनः।।*
      ★महाभारतम् उद्योगपर्व ३८-४४

आज की वाणी में महाभारत का एक श्लोक समाविष्ट है जो हमें जीवन में आवश्यकता और अतिरेक के बीच का संतुलन समझने की प्रेरणा देता है। इस श्लोक के माध्यम से हमें यह सिखाया जाता है कि हमें केवल आवश्यकतानुसार ही कार्य करने चाहिए और अधिक में हाथ डालने से संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

इस पंचांग में दिए गए तिथि, नक्षत्र, योग, और विशेष दिवसों की जानकारी हमें न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व समझने में सहायता करती है, बल्कि यह हमें हमारे पूर्वजों और महान व्यक्तित्वों की उपलब्धियों और समर्पण को याद करने का अवसर भी प्रदान करती है। इस प्रकार, वैदिक पंचांग हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन्हें अपने दैनिक जीवन में उतारने की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

इस पंचांग के माध्यम से हमें यह भी समझने को मिलता है कि हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने किस प्रकार से समय की गणना की थी और कैसे वे हर दिन को एक विशेष महत्व देते थे। इससे हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने और जीवन को अधिक सार्थक बनाने की प्रेरणा मिलती है।