Site logo

प्रथम विश्व युद्ध से स्वतंत्रता प्राप्ति तक: भारत में राष्ट्रवाद का ज्वार (World War I to Independence: The Rise of Nationalism in India)

भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India)


प्रथम विश्व युद्ध, खिलाफत और असहयोग आंदोलन

प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) ने भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं को तीव्र कर दिया। युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों से भारी करों और सैनिकों की भर्ती की मांग की। युद्ध के बाद, भारत में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता का दौर रहा।

खिलाफत आंदोलन (1919-1924) तुर्की के खिलाफ ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ एक मुस्लिम राष्ट्रवादी आंदोलन था। इस आंदोलन ने भारतीय राष्ट्रवाद को धार्मिक आधार पर एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

असहयोग आंदोलन (1920-1922) महात्मा गांधी द्वारा नेतृत्व किया गया एक बड़ा राष्ट्रवादी आंदोलन था। इस आंदोलन ने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार, सरकारी संस्थानों से सहयोग वापस लेना और स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित किया।

आंदोलन के भीतर अलग-अलग धाराएँ

असहयोग आंदोलन के दौरान, राष्ट्रवादी आंदोलन के भीतर दो मुख्य धाराएँ उभरीं:

उग्रवादी धारा: इस धारा का नेतृत्व भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों ने किया था। वे ब्रिटिश शासन से सशस्त्र संघर्ष के पक्ष में थे।

नरमपंथी धारा: इस धारा का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था। वे अहिंसक प्रतिरोध और सत्याग्रह के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करने के पक्ष में थे।


सविनय अवज्ञा की ओर

1930 में, गांधीजी ने नमक पर लगाए गए कर का विरोध करने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन ने लाखों भारतीयों को आकर्षित किया और ब्रिटिश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया।

सामूहिक अपनेपन का मातृ

इन सभी आंदोलनों ने भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीयों को एकजुट किया और उन्हें एक राष्ट्र के रूप में सोचने के लिए प्रेरित किया।

निष्कर्ष

भारत में राष्ट्रवाद का विकास एक जटिल प्रक्रिया थी। इसमें विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों ने योगदान दिया। राष्ट्रवादी आंदोलन ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India)

10 बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

  1. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किसने भारतीयों से भारी करों और सैनिकों की भर्ती की मांग की? (क) जर्मनी (b) ब्रिटिश सरकार (c) फ्रांस (d) रूस
  2. खिलाफत आंदोलन किसके विरुद्ध चलाया गया था? (क) ब्रिटिश शासन (b) तुर्की (c) फ्रांस (d) जर्मनी
  3. असहयोग आंदोलन के दौरान किसका बहिष्कार किया गया? (क) भारतीय वस्तुओं (b) विदेशी वस्तुओं (c) करों का भुगतान (d) शिक्षा प्रणाली
  4. असहयोग आंदोलन के दो मुख्य धाराओं में से कौन अहिंसक प्रतिरोध का समर्थक था? (क) उग्रवादी धारा (b) नरमपंथी धारा (c) दोनों (d) कोई नहीं
  5. सविनय अवज्ञा आंदोलन किस कर के विरोध में शुरू हुआ था? (क) आयकर (b) भूमि कर (c) नमक कर (d) शिक्षा कर
  6. भारत में राष्ट्रवाद के विकास में किसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई? (क) प्रथम विश्व युद्ध (b) खिलाफत आंदोलन (c) असहयोग आंदोलन (d) उपरोक्त सभी
  7. भारत में राष्ट्रवाद किस विचार पर आधारित था? (क) धर्म (b) जाति (c) सामूहिक अपनेपन (d) उपरोक्त सभी
  8. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वर्ष हुई? (क) 1885 (b) 1905 (c) 1920 (d) 1947
  9. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत का पहला प्रधानमंत्री कौन बना? (क) जवाहरलाल नेहरू (b) सुभाष चंद्र बोस (c) महात्मा गांधी (d) बाल गंगाधर तिलक
  10. भारत में राष्ट्रवाद के उदय का मुख्य कारण क्या था? (क) ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष (b) साझा इतिहास और संस्कृति (c) दोनों (a) और (b) (d) उपरोक्त सभी

10 लघु प्रश्न उत्तर (Short Answer Questions)

  1. प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रवाद को कैसे प्रभावित किया?
  2. खिलाफत आंदोलन का भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में क्या महत्व था?
  3. असहयोग आंदोलन के क्या उद्देश्य थे?
  4. असहयोग आंदोलन में उभरी दो मुख्य धाराओं के बारे में लिखिए।
  5. सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
  6. भारत में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न कारकों की चर्चा करें।
  7. राष्ट्रवाद का अर्थ क्या है?
  8. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की भूमिका का वर्णन करें।
  9. स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के योगदान को संक्षेप में लिखें।
  10. भारत में राष्ट्रवाद के दीर्घकालिक प्रभावों का उल्लेख करें।

3 छोटे प्रश्न उत्तर (Very Short Answer Questions)

  1. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत का उपनाम क्या था?
  2. भारत का स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है?
  3. राष्ट्रीय ध्वज का रंग क्या दर्शाता है?

निबंध प्रश्न (Essay Type Question)

भारत में राष्ट्रवाद के उदय और विकास का वर्णन कीजिए। राष्ट्रवाद ने भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति में किस प्रकार योगदान दिया?

भारत में राष्ट्रवाद का उदय और विकास: स्वतंत्रता प्राप्ति में योगदान

भारत में राष्ट्रवाद का उदय 19वीं शताब्दी के मध्य में हुआ और 20वीं शताब्दी के दौरान यह एक शक्तिशाली आंदोलन बन गया। इस निबंध में, हम भारत में राष्ट्रवाद के उदय और विकास का वर्णन करेंगे और यह बताएंगे कि इसने भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति में किस प्रकार योगदान दिया।

राष्ट्रवाद का उदय:

  • ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष: ब्रिटिश राज के आर्थिक शोषण, सामाजिक भेदभाव और राजनीतिक दमन ने भारतीयों में असंतोष पैदा कर दिया।
  • साझा इतिहास और संस्कृति: भारत के समृद्ध इतिहास, साझा संस्कृति और परंपराओं ने एक राष्ट्रीय पहचान को जन्म दिया।
  • पश्चिमी विचारों का प्रभाव: फ्रांसीसी क्रांति और अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम जैसे विचारों ने भारतीयों को स्वतंत्रता की आकांक्षा जगाई।

राष्ट्रवाद का विकास:

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885): यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था जिसने राष्ट्रवाद को एक संगठित मंच प्रदान किया।
  • सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन: इन आंदोलनों ने एकजुटता और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया।
  • स्वदेशी आंदोलन और बहिष्कार: इन आंदोलनों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार के माध्यम से ब्रिटिश शासन को कमजोर करने का प्रयास किया।
  • प्रथम विश्व युद्ध: युद्ध के कारणों और परिणामों ने भारतीयों में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रति असंतोष को बढ़ा दिया।
  • खिलाफत आंदोलन और असहयोग आंदोलन: इन राष्ट्रव्यापी आंदोलनों ने लाखों भारतीयों को एकजुट किया और ब्रिटिश शासन को चुनौती दी।

राष्ट्रवाद का स्वतंत्रता प्राप्ति में योगदान:

  • राष्ट्रीय एकता और पहचान का निर्माण: राष्ट्रवाद ने एक साझा राष्ट्रीय चेतना को जन्म दिया जिसने भारतीयों को एकजुट किया।
  • ब्रिटिश शासन के खिलाफ जन आंदोलन का निर्माण: राष्ट्रवाद ने असंतोष को संगठित करने और ब्रिटिश शासन को चुनौती देने के लिए एक मंच प्रदान किया।
  • अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करना: राष्ट्रवादी आंदोलन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भारत की स्वतंत्रता संग्राम की ओर खींचा।
  • ब्रिटिश शासन को कमजोर करना: निरंतर विरोध और आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन की वैधता को कमजोर कर दिया।

निष्कर्ष रूप में, भारत में राष्ट्रवाद का उदय और विकास ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष का एक महत्वपूर्ण कारक था। इसने भारतीयों को एकजुट किया, ब्रिटिश शासन को चुनौती दी और अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्ट्रवाद की भावना ने न केवल स्वतंत्रता प्राप्त की बल्कि एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत के निर्माण में भी योगदान दिया।