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वस्तु के वास्तविक मूल्य समझाती एक प्रेरणादायक कहानी: भारतीय हिंदी कहानी

वास्तविक मूल्य: एक प्रेरक कथा

बहुत समय पहले, एक दूरस्थ गाँव में एक वृद्ध व्यक्ति निवास करता था। उनके दो सुपुत्र थे। इस वृद्ध व्यक्ति की आदत थी कि वह अपनी वस्तुओं का उपयोग बहुत सोच-समझकर और कंजूसी से करते थे।

उनकी सबसे प्रिय धरोहर एक पुराना चांदी का पात्र था, जिसे वह बड़े संभाल कर एक संदूक में रखते थे, यह सोचकर कि उसे केवल एक विशेष अवसर पर ही प्रयोग में लाएंगे।

एक बार, उनके घर एक संत पधारे। भोजन परोसते समय, वृद्ध को विचार आया कि संत को चांदी के पात्र में भोजन परोसा जाए, लेकिन तुरंत ही उन्होंने सोचा कि उनका यह पात्र बहुत मूल्यवान है और एक भ्रमणशील संत के लिए इसे निकालना उचित नहीं होगा। उन्होंने तय किया कि जब कोई राजसी व्यक्ति आएगा, तब इस पात्र का उपयोग करेंगे।

कुछ समय बाद, राजा के मंत्री उनके घर आए। वृद्ध फिर चांदी के पात्र का प्रयोग करने के विचार में पड़ गए, लेकिन सोचा कि वे तो केवल मंत्री हैं, जब राजा स्वयं आएंगे, तब इसका उपयोग होगा।

अंततः जब राजा खुद भोजन के लिए आए, तब भी वृद्ध ने पात्र का उपयोग नहीं किया, क्योंकि राजा हाल ही में एक युद्ध हार गए थे। उन्होंने सोचा कि इस क्षतिग्रस्त गौरव के साथ राजा को इस मूल्यवान पात्र में भोजन परोसना उचित नहीं होगा। इस प्रकार, वह पात्र अप्रयुक्त ही रह गया।

समय बीता और वृद्ध की मृत्यु हो गई। मृत्यु के पश्चात्, जब उनके पुत्रों ने संदूक खोला, तो उन्हें वह चांदी का पात्र काला पड़ा हुआ मिला। इसे देखकर उनकी पत्नी ने कहा कि इस गंदे पात्र का कोई उपयोग नहीं है, इसे तो केवल कुत्ते को भोजन देने के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है। इस तरह, जिस पात्र को वृद्ध ने जीवनभर एक विशेष अवसर के लिए संजोया था, वह अंततः घर के पालतू कुत्ते के भोजन का पात्र बन गया।

शिक्षा:

यह प्रेरक कथा हमें यह सिखाती है कि किसी वस्तु का मूल्य तभी है जब वह उपयोग में लाई जाए। बेकार पड़ी कीमती वस्तुओं का कोई महत्व नहीं होता। इसलिए, यदि आपके पास कोई वस्तु है, तो उसका समय पर उपयोग करें।

सदैव आनंदित रहिए – जो कुछ भी आपके पास है, वह पर्याप्त है।

जिसका मन आनंदित है, उसके पास संसार की सारी समृद्धि है।

यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में संग्रह करने की तुलना में साझा करना और उपयोग करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। वस्तुओं को संजोकर रखने से बेहतर है कि उनका सदुपयोग किया जाए ताकि वे वास्तविक रूप में मूल्यवान बन सकें।