जयपुर: राजस्थान में संचालित 2000 से अधिक महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों को हिंदी माध्यम में बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने जिला स्तरीय अधिकारियों से अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की मौजूदा स्थिति, शिक्षकों की संख्या, छात्रों की संख्या और उन्हें फिर से हिंदी माध्यम में संचालित करने की संभावनाओं पर रिपोर्ट मांगी है। इन रिपोर्टों के आधार पर शिक्षा विभाग अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों को हिंदी माध्यम में बदलने का फैसला लेगा।
यह बदलाव क्यों?
इस बदलाव के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। कुछ का कहना है कि इन अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है, जिसके कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। वहीं, कुछ का मानना है कि इन विद्यालयों में गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को प्रवेश नहीं मिल पाता है, जिसके कारण शिक्षा में असमानता बढ़ रही है।
विरोध भी शुरू
इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। अभिभावकों और शिक्षकों का कहना है कि सरकार को अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों को बंद करने के बजाय उन्हें मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए। उनका तर्क है कि इन विद्यालयों में गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी अंग्रेजी शिक्षा का अवसर मिलता है।
अब क्या होगा?
शिक्षा विभाग का कहना है कि वह सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही कोई अंतिम फैसला लेगा। विभाग का कहना है कि उसका मकसद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करना है।
यह फैसला राजस्थान के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है।
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