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महाशिवरात्रि 2024: तिथि, मुहूर्त, व्रत, पूजा विधि और शुभकामनाएं

“शिव”

शिव ही शास्त्र है, शिव ही वाक्य है, जीवन के रण में, शिव ही शस्त्र है । शिव एक रहस्य है, शिव ही सहस्त्र है, शिव को पाना ही, जीने का लक्ष्य है।।

शिव ही शाक्य है, शिव ही प्राप्त्य है,शिव के अंदर जीना ही, जीवन सत्य है। शिव ही दिग्भ्रम है, शिव ही ज्ञान है शिव से ही शक्ति भक्ति और सम्मान है।।

शिव ही सुगंध है, शिव निर्बंध है,शिव त्रिनेत्र है, शिव यमकाल है । शिव से वेद है, शिव ही पुराण है, शिव ही जीव है, शिव ही प्राण है ।।

शिव ही धान्य है, शिव ही मान्य है, शिव सर्वज्ञ और अमृत की खान है। शिव ही स्वर्ग है, शिव में भूगर्भ है, शिव से ही अग्नि जल आकाश है।।

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !

शिव सत्य है, शिव अनंत है, शिव अनादि है, शिव भगवंत है, शिव ओंकार है, शिव ब्रह्म हैं, शिव शक्ति है, शिव भक्ति है,

शिव का अर्थ:

“शिव” शब्द का अर्थ संस्कृत में कई स्तरों पर समझा जा सकता है:

1. कल्याणकारी:

  • यह सबसे आम अर्थ है, और इसका अर्थ है “शुभ”, “मंगल”, “कल्याणकारी”, “भाग्यशाली”, “सुखी”, और “जो कल्याण लाता है”।
  • भगवान शिव को “शिव” कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों को कष्टों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करते हैं।

2. शुभ:

  • “शिव” का अर्थ “शुभ”, “पवित्र”, “पापरहित”, “निर्मल”, और “पवित्र” भी होता है।
  • भगवान शिव को “शिव” कहा जाता है क्योंकि वे सभी पापों और अशुद्धियों से मुक्त हैं।

3. विनाशक:

  • “शिव” का अर्थ “विनाशक” भी होता है।
  • यह विनाशकारी शक्ति का प्रतीक है जो सभी बुराईयों को नष्ट करती है।
  • भगवान शिव को “शिव” कहा जाता है क्योंकि वे सभी नकारात्मक शक्तियों का अंत करते हैं।

4. शांति:

  • “शिव” का अर्थ “शांति”, “आनंद”, और “संतुष्टि” भी होता है।
  • भगवान शिव को “शिव” कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों को आंतरिक शांति और आनंद प्रदान करते हैं।

5. आदि और अंत:

  • “शिव” का अर्थ “आदि और अंत” भी होता है।
  • यह ब्रह्मांड के चक्र का प्रतीक है, जो शुरू होता है, समाप्त होता है, और फिर से शुरू होता है।
  • भगवान शिव को “शिव” कहा जाता है क्योंकि वे सभी चीजों की शुरुआत और अंत हैं।

6. शिव का अर्थ “वह जो नहीं है”

  • शिव का अर्थ “वह जो नहीं है” भी होता है।
  • यह शून्यता, या अस्तित्व की कमी का प्रतीक है।
  • भगवान शिव को “शिव” कहा जाता है क्योंकि वे सभी सांसारिक भ्रमों से परे हैं।

7. शिव नाम के अन्य अर्थ:

  • “शिव” का अर्थ “मृत्युंजय” भी होता है, जिसका अर्थ है “मृत्यु को जीतने वाला”।
  • “शिव” का अर्थ “त्रिपुरान्तक” भी होता है, जिसका अर्थ है “त्रिपुरासुर राक्षस का वध करने वाला”।
  • “शिव” का अर्थ “नाटराज” भी होता है, जिसका अर्थ है “नृत्य के देवता”।

निष्कर्ष:

“शिव” शब्द का अर्थ बहुत गहरा और बहुआयामी है। यह भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है, जो कल्याणकारी, शुभ, विनाशक, शांतिपूर्ण, आदि और अंत, और शून्यता के प्रतीक हैं।

महाशिवरात्रि: भक्ति, उपवास और आत्म-साक्षात्कार का उत्सव

महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक, भगवान शिव को समर्पित है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस वर्ष, महाशिवरात्रि 8 मार्च, 2024 को मनाई जाएगी।

महाशिवरात्रि का महत्व:

  • भगवान शिव का विवाह: यह माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
  • शिवरात्रि व्रत: इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
  • आत्म-साक्षात्कार: यह दिन आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

महाशिवरात्रि की रीति-रिवाज:

  • पूजा: भक्त घरों और मंदिरों में भगवान शिव की पूजा करते हैं।
  • व्रत: भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और पानी भी नहीं पीते हैं।
  • जागरण: कुछ भक्त रात भर जागरण करते हैं और भजन गाते हैं।
  • रुद्राभिषेक: भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी किया जाता है।

महाशिवरात्रि के प्रमुख मंदिर:

  • उज्जैन: महाकालेश्वर मंदिर
  • वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर
  • सोमनाथ: सोमनाथ मंदिर
  • केदारनाथ: केदारनाथ मंदिर
  • पशुपतिनाथ: पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल)

निष्कर्ष:

महाशिवरात्रि भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें अपने जीवन में आत्म-नियंत्रण और अनुशासन लाने का भी प्रेरणा देता है.

महाशिवरात्रि आज


होली के पहले फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। श्रावण मास में शिवरात्रि और फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन शिवजी की विशेष पूजा और आराधना होती है और विशेष अभिषेक किया जाता है। अधिकतर मत के अनुसार शिवजी की पूजा निशीथ काल में की जाती है। 08 मार्च 2024 शुक्रवार को रहेगी महाशिवरात्रि।

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 08 मार्च 2024 को रा‍त्रि 09:57 बजे।
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2024 को शाम 06:17 बजे।

चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा रात में होती है और वह भी निशीथ काल में इसलिए 08 मार्च 2024 को यह पर्व मनाया जाएगा। चतुर्दशी पहले ही दिन निशीथव्यापिनी हो, तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाते हैं। रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है।

महाशिवरात्रि की चार प्रहर मुहूर्त

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट तक

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – रात 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – प्रात: 03.34 से प्रात: 06:37

निशिता काल मुहूर्त – रात में 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक (9 मार्च 2024)

व्रत पारण समय – सुबह 06 बजकर 37 मिनट से दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक (9 मार्च 2024)

पूजा के शुभ मुहूर्त :-

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:08 से 12:56 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:30 से 03:17 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:23 से 06:48 तक।
सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:25 से 07:39 तक।
अमृत काल : रात्रि 10:43 से 12:08 तक।

सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06:38 से 10:41 तक।
निशिता मुहूर्त : रात्रि 12:07 से 12:56 तक।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव शंकर के आगे व्रत का संकल्प लें।
संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिए शिव जी का आशीर्वाद लें।
इसके अलावा आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला ये भी संकल्प लें।
फिर शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें।
सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं।
साथ ही केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि का दीपक जलाएं। इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं।
बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है।
इसलिए तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।
सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें।

क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि का पर्व?

फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि।

शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥

  • ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में इसी दिन आधी रात में भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में (ब्रह्म से रुद्र के रूप में) अवतरण हुआ था।
  • प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते हैं। इसलिए इसे महाशिवरात्रि या जलरात्रि भी कहा गया है।
  • इस दिन भगवान शंकर की शादी भी हुई थी। इसलिए रात में शंकर की बारात निकाली जाती है। रात में पूजा कर फलाहार किया जाता है। अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेल पत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।
  • ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चंदमा सूर्य के नजदीक होता है। उसी समय जीवनरूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग-मिलन होता है। सूर्यदेव इस समय पूर्णत: उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यन्त शुभ कहा गया है।

महाशिवरात्रि :

शिव का अर्थ:

  • शिव शब्द का अर्थ है “कल्याणकारी” या “मंगलकारी“।
  • शिव त्रिदेवों में से एक हैं, जिनके साथ ब्रह्मा और विष्णु हैं।
  • शिव को संहारक और विनाशक भी कहा जाता है,
  • शिव को मोक्ष का देवता भी माना जाता है।

महाशिवरात्रि कैसे मनाएं:

  • व्रत: भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं।
  • पूजा: भक्त शिवलिंग की पूजा करते हैं।
  • जागरण: कुछ भक्त रात भर जागरण करते हैं और भजन गाते हैं।
  • रुद्राभिषेक: भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी किया जाता है।

महाशिवरात्रि 2024 का मुहूर्त:

  • निर्जला व्रत: 7 मार्च, 2024 को रात 8:24 बजे से 8 मार्च, 2024 को रात 4:16 बजे तक
  • महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त: 8 मार्च, 2024 को रात 12:08 बजे से 1:38 बजे तक

महाशिवरात्रि मनाने का तरीका:

  • स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • पूजा: घर के मंदिर में शिवलिंग की पूजा करें।
  • व्रत: निर्जला व्रत रखें या फलाहार करें।
  • भजन: शिव के भजन गाएं।
  • जागरण: रात भर जागरण करें।

महाशिवरात्रि पूजा विधि:

  • शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • शिवलिंग पर चंदनफूलफल और मिठाई चढ़ाएं।
  • शिव के मंत्र का जाप करें।
  • आरती करें।

महाशिवरात्रि शुभकामना संदेश:

  • आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
  • भगवान शिव आप सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें!
  • यह महाशिवरात्रि आपके जीवन में खुशियां और समृद्धि लाए!

महाशिवरात्रि के दिन अपनी राशि अनुसार करें अभिषेक

Ⓜ️महाशिवरात्रि पर विभिन्न प्रकार के अभिषेक और राशि के अनुसार पूजा करके भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए आप अपनी राशि के अनुसार पूजा करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के अभिषेक भी कर सकते हैं
Ⓜ️मेष- शहद, गु़ड़, गन्ने का रस। लाल पुष्प चढ़ाएं।
Ⓜ️वृष- कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प।
Ⓜ️मिथुन- हरे फलों का रस, मूंग, बिल्वपत्र।
Ⓜ️कर्क- कच्चा दूध, मक्खन, मूंग, बिल्वपत्र।
Ⓜ️सिंह- शहद, गु़ड़, शुद्ध घी, लाल पुष्प।
Ⓜ️कन्या- हरे फलों का रस, बिल्वपत्र, मूंग, हरे व नीले पुष्प।
Ⓜ️तुला- दूध, दही, घी, मक्खन, मिश्री।
Ⓜ️वृश्चिक- शहद, शुद्ध घी, गु़ड़, बिल्वपत्र, लाल पुष्प।
Ⓜ️धनु- शुद्ध घी, शहद, मिश्री, बादाम, पीले पुष्प, पीले फल।
Ⓜ️मकर- सरसों का तेल, तिल का तेल, कच्चा दूध, जामुन, नीले पुष्प।
Ⓜ️कुंभ- कच्चा दूध, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले पुष्प।
Ⓜ️मीन- गन्ने का रस, शहद, बादाम, बिल्वपत्र, पीले पुष्प, पीले फल।
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