होली के रंगों में घुल गया है ‘मम्मी vs पापा’ का संग्राम!
होली आई, रंग लाई! उत्साह की लहर के साथ ही घर-घर में एक चिर-परिचित, हल्की-फुलकी जंग भी छिड़ जाती है – मम्मी बनाम पापा की जंग!
मम्मी का तर्क:
पापा का पलटवार:
बच्चों की ज़िद:
मम्मी-पापा का समझौता:
होली का रंगारंग खेल शुरू!
आखिरकार, रंगों की इस खुशी में कोई हारता नहीं, कोई जीतता नहीं! होली की मस्ती में ‘मम्मी vs पापा’ का संग्राम कब का पिघल चुका है!
यही है असली होली, यही है भारत की होली!
मम्मी vs पापा: एक हास्यपूर्ण झगड़ा
जब आती है होली की धूम, तब शुरू होता है घर में एक नया खेल – “मम्मी vs पापा”. हाँ, यही होता है, भारतीय परिवारों की अनोखी कहानी!
मम्मी, जो सब कुछ जानती हैं और हमेशा सही होती हैं, उनके पास एक जादू है। बच्चे उनके पास आकर्षित होते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि मम्मी को सब पता है। और तब आता है पापा, जो कभी-कभी थोड़े से ख़ास होते हैं।
पर जब पापा अपनी ‘औकात’ पर आते हैं, तो बच्चे फिर से अपनी हेसियत पर आ जाते हैं। क्योंकि जैसा कि हम सब जानते हैं, “मम्मी तो सब कुछ जानती हैं, लेकिन पापा भी तो उनके बारे में सब कुछ जानते हैं”।
तो दोस्तों, यही है हमारे भारतीय परिवारों की कहानी – एक हास्यपूर्ण झगड़ा, जिसमें हर किसी का अपना चार्म है। और जब होली की रंगों से भरी ज़िन्दगी में यह खेल शुरू होता है, तो यहाँ कोई हारने वाला नहीं है!
छोटी मुसीबत में मम्मी याद आती है, जैसे कक्षा में कोई चुटकी काट ले तो “उई अम्मा”, लेकिन अगर कक्षा में लड़ाई करने पर प्रिंसिपल साहब अपने कमरे में बुला ले तो “मर गए बाप”।
सारांश:
मम्मी की ममता और पापा की क्षमता बेमिसाल है, जिससे दोनों को विजेता घोषित किया जाता है।