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राजस्थान शिक्षा विभाग के अवकाश नियम: सम्पूर्ण गाइड विभिन्न प्रकार के अवकाश के लिए।

राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के लिए अवकाशों की नीति और विभिन्न प्रकार के अवकाशों के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

  1. आकस्मिक अवकाश (Casual Leave): यह छोटी अवधि के लिए दिया जाता है, जैसे व्यक्तिगत कारणों या आपात स्थितियों के लिए।
  2. चिकित्सा अवकाश (Medical Leave): यदि कर्मचारी बीमार हो तो इस प्रकार का अवकाश लिया जा सकता है।
  3. अर्जित अवकाश (Earned Leave): यह अवकाश उन दिनों के लिए होता है जो कर्मचारी ने अपनी सेवा के दौरान अर्जित किए होते हैं।
  4. मातृत्व अवकाश (Maternity Leave): गर्भावस्था और प्रसव के दौरान महिला कर्मचारियों को दिया जाता है।
  5. पितृत्व अवकाश (Paternity Leave): नवजात शिशु के जन्म के समय पुरुष कर्मचारियों के लिए।
  6. अध्ययन अवकाश (Study Leave): आगे की पढ़ाई या विशेष प्रशिक्षण के लिए।
  7. अन्य विशेष अवकाश: जैसे कि सामाजिक या धार्मिक अवसरों के लिए।

इन अवकाशों के लिए नियम और शर्तें, अवधि, और अन्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

अवकाश (Leave)

  1. कर्त्तव्य सम्पादन द्वारा ही अवकाशों का अर्जन किया जाता है अर्थात् अवकाश अधिकार नहीं हैं।
  2. वैदेशिक सेवा (जहाँ भुगतान राज्य की संचित निधि से नहीं किया जाता) भी कत्र्त्तव्य अवधि मानी जाती है यदि उसके लिए पेंशन अंशदान विदेशी नियोजक द्वारा दिया गया हो।
  3. यदि व्यक्ति के स्थानान्तरण से पूर्व अन्य पद पर अन्य नियम प्रभावी होते है तो पूर्व की सेवा का अवकाश लाभ इन नियमों के अन्तर्गत प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
  4. पुनः नियोजन या सेवा बहाली पर छोड़ी गई सेवा में देय ग्रेच्युटी एवं अन्य पेंशनरी परिलाभ यदि लौटा दिये जाये तथा पूर्व सेवाएं अन्तिम सेवा निवृति पर पेंशन योग्य हो जाये तो पूर्व सेवाएं उस सीमा तक अवकाश अर्जन के लिए गिनी जा सकती है जैसा वह प्राधिकारी निर्धारित करे जो पुनः नियोजन करने के लिए सक्षम है।
  5. बर्खास्तगी एवं निष्कासन पर यदि अपील अथवा पुनरीक्षण पर पुनः नियुक्ति हो जाये तो पूर्व की सेवाएं अवकाश अर्जन हेतु गिनी जा सकती है।
  6. अवकाश जन सेवाओं के हित में अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत अथवा अस्वीकृत किया जा सकता है अथवा स्वीकृत अवकाश अवधि को कम किया जा सकता है।
  7. अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी द्वारा, आवेदित एवं देय अवकाश की प्रकृति नहीं बदली जा सकती (Nature of leave cann’t be changed) I
  8. एक प्रकार से स्वीकृत एवं उपयोग किये गये अवकाश की प्रकृति को अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी कार्मिक के आवेदन करने पर पूर्व प्रभाव से बदल सकता है यदि परिवर्तित अवकाश प्रकृति प्रथम बार अवकाश स्वीकृत करते समय शेष एवं देय थी एवं अवकाश प्रकृति बदलने का प्रार्थना पत्र अवकाश समाप्ति के तीन माह में प्राप्त हो गया हो। यदि अधिक्य राशि का भुगतान हुआ हो तो वह वसूल कर ली जायेगी एवं यदि कोई राशि देय बनती है तो उसका भुगतान किया जायेगा।
  9. अवकाश के प्रत्येक प्रार्थना पत्र में अवकाश अवधि का पता लिखना चाहिए जिससे जनहित में अवश्यकता होने पर संचार किया जा सके ।
  10. अवकाश के प्रारम्भ तथा अन्त में सार्वजनिक अवकाशों का संयोजन किया जा सकता है परन्तु अवकाश वेतन अथवा भत्ते सार्वजनिक अवकाशों से पृथक अर्जित अवकाश अवधि के ही होगे। 30 दिवस या इससे अधिक अतिरिक्त कार्य के एवज में मिलने वाले दोहरे वेतन में उक्तअवधि में अवकाश के पूर्व तथा बाद वाले सार्वजनिक अवकाशों को दोहरी व्यवस्था की अवधि में सम्मिलित किया जाकर अतिरिक्त वेतन स्वीकार्य होता है।
  11. R.H. (Restricted Holiday) प्रतिबन्धित अवकाश अन्य सार्वजनिक अवकाशों के समान हैं व नियमित अवकाश या आकस्मिक अवकाश के पूर्व या बाद में लिये जा सकते है।
  12. सक्षम स्वीकृक्ति के बिना अवकाश आवेदक यदि कर्तव्य से अनुपस्थित रहता है तो उसे कर्तव्य से जान बूझकर अनुपस्थित रहा माना जायेगा और ऐसी अनुपस्थिति को सेवा में व्यवधान मानते हुए पिछले सेवा काल को जब्त (For feit) किया जा सकेगा जब तक कि अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी द्वारा अवकाश स्वीकृत नहीं कर दिया जाता अथवा असाधारण अवकाशों में परिवर्तित नहीं कर दिया जाता। स्वीकृत अवकाश समाप्ति पश्चात अथवा अवकाश वृद्धि अस्वीकृत करने पर कर्तव्य से अनुपस्थिति की अवधि के लिए कोई वेतन अथवा भत्ता नहीं दिया जायेगा तथा ऐसी अवधि को असाधारण अवकाश में परिवर्तित कर दिया जायेगा जब तक कि अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी द्वारा संतोषप्रद पाये जाने पर देय अवकाश स्वीकृत कर नियमित नहीं कर दिया गया हो।
  13. स्वेच्छा पूर्वक अनुपस्थिति कार्मिक को अनुशासनिक कार्यवाही के लिए दोषी बना देती है 5 वर्ष से अधिक अधिकारी निरन्तर अवधि तक अवकाश या अवकाश के बिना विदेश सेवा के अतिरिक्त अनुपस्थित रहता है तो सेवा से त्याग पत्र दिया हुआ समझा जायेगा परन्तु अनुपस्थिति के कारण स्पष्ट करने हेतु कार्मिक को युक्तियुक्त अवसर दिया जायेगा।
  14. कर्तव्य से स्वेच्छा पूर्वक अनुपस्थिति अवधि जिसका अवकाश स्वीकृत नहीं किया गया है पदाधिकार को समाप्त नहीं करती इस अवधि को वार्षिक वेतन वृद्धि, अवकाश एवं पेंशन आदि के लिए सेवा का शून्य काल (Diesnon) माना जायेगा यदि अनुपस्थिति स्वीकृत अवकाश की निरन्तरता में नहीं हो एवं केवल स्वेच्छा से अनुपस्थिति ही हो वहाँ ऐसी अवधि को पेंशन प्रयोजनों के लिए सेवा में व्यावधान माना जायेगा तथा पूर्व की सेवा जब्त मानी जायेगी।
  15. किसी भी प्रकार के नियमित अवकाश को किसी भी अन्य प्रकार के नियमित (Regular) अवकाश के साथ अथवा उसकी निरन्तरता में स्वीकृत किया जा सकता है। (आकस्मिक अवकाश/CL नियमित (Regular)) अवकाश नहीं है। शेष सभी नियमित अवकाश है।
  16. अवकाश पर सरकार की पूर्व अनुमति के बिना कोई नियोजन (Employment) स्वीकार्य नहीं है तथा सक्षम स्वीकृति एक वर्ष अथवा तीन वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय एजेसी या सार्वजनिक निकाय या लोक क्षेत्र के संस्थान जैसी भी स्थिति हो से अधिक के लिए नहीं की जायेगी तथा अवकाश वेतन राज्यपाल के विशिष्ट आदेश द्वारा निर्धारित किया जायेगा।
Leave Rules by Shala Saral

चिकित्सा निदान के आधार पर अवकाश (Leave on Medical Ground)

  1. राजस्थान सेवा नियम 1951 के नियम 70-76 में चिकित्सा प्रमाण पत्र एवं नियम 83 में चिकित्सा पूर्ण होने पर स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र दिया गया है। प्रमाण पत्र को स्वीकृत अस्वीकृत करने से पूर्व संदिग्धता की स्थिति में प्रकरण में आवेदन कर्ता को 14 दिवस तक चिकित्सालय परीक्षण में रखा जा सकता है व नियम 83 में उल्लिखितानुसार प्रमाण पत्र दिया जायेगा। “श्री…………… ने अवकाश स्वीकृत कराने के लिये चिकित्सा प्रमाण पत्र के लिये हमें आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, इस प्रकार का प्रमाण-पत्र देने या अस्वीकृत करने से पूर्व हम…..परीक्षण में रखना आवश्यक समझते हैं।’
  2. राजपत्रित अधिकारी को 60 दिन तक का चिकित्सा के आधार पर अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है जिसमे प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र संलग्न किया जायेगा। 60 दिनों से अधिक अवकाश प्रमुख चिकित्सा अधिकारी / मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अथवा उससे उच्च स्तर के चिकित्सा अधिकारी द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत किया जा सकता है राजकीय होमियोपैथिक चिकित्सक अथवा राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा के लिए अधिकृत होमियोपैथिक चिकित्सक से प्राप्त प्रमाण पत्र के आधार पर अधिकतम 15 दिवस का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। चिकित्सा प्रमाण पत्र अवकाश का अधिकार स्वतः ही नहीं देता अवकाश स्वीकृक्ति कर्ता प्राधिकारी को ये प्रस्तुत किया जायेगा तथा आदेशों की प्रतीक्षा की जायेगी। अराजपत्रित सरकारी कर्मचारियों द्वारा चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर प्रस्तुत अवकाश प्रार्थना पत्र के साथ प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक का प्रमाण पत्र, रोग की प्रकृति और बीमारी की सम्भावित अवधि अंकित कर प्रेषित किया जायेगा। अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी संदिग्ध स्थिति में पुनः परीक्षण किसी राजकीय चिकित्सा अधिकारी जो प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के नीचे का नहीं हो से चिकित्सा परीक्षण करवा सकेगा । राजपत्रित सरकारी कर्मचारी के लिए चिकित्सा प्रमाण पत्र नियम-86 में दिया गया है। चर्तुथ श्रेणी कर्मचारी के चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश अथवा अवकाश वृद्धि में अवकाश स्वीकृक्ति कर्ता प्राधिकारी किसी प्रकार के प्रमाण पत्र जो वह पर्याप्त समझे स्वीकार कर सकता है। यदि कार्मिक की सेवा पर पुनः उपस्थित होने की आशा नहीं हो तो चिकित्सा प्रमाण पत्र में अवकाश के स्थान पर कर्मचारी राज्य सेवा में स्थाई रूप से अयोग्य पांबद अंकित करना चाहिए एवं ऐसी स्थिति में कार्मिक का अवकाश अस्वीकृत नही किया जाना चाहिए यदि चिकित्सा प्रमाण पत्र में चिकित्सा अधिकारी निश्चित रूप से यह कहने में असमर्थ हो कि कर्मचारी पुनः कभी सेवा में आने योग्य नहीं हो सकेगा तो कुल अवकाश अधिकतम 12 माह तक का स्वीकृत किया जा सकता है परन्तु इसे बिना चिकित्सा अधिकारी की सहमति के आगे नहीं बढ़ाया जा सकेगा।
  3. चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत अवकाश में कर्तव्य पर लौटने के लिए स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र प्राधिकृत चिकित्सक परिचारक द्वारा नियम 83 में दिया गया है।
  4. स्वीकृत अवकाश की समाप्ति से पूर्व सेवा पर पुनः उपस्थित होने पर अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी की अनुमति आवश्यक होगी। नोट प्राधिकृत चिकित्सक का अर्थ एक राजकीय अस्पताल या डिस्पेन्सरी या अनुमोदित अस्पतालों में कर्तव्य पर होने वाले एक राजकीय चिकित्सा अधिकारी या वैद्य हकीम एवं (होमियोपैथिक चिकित्सक) समय-समय पर प्रभावी कानून के अन्तर्गत रजिस्टर्ड एलोपेथी, आयुर्वेदिक, यूनानी व्यवसायी होते है ।

उपार्जित अवकाश (Previlege Leave/P.L.)

  1. एक राज्य कर्मचारी को एक कैलेण्डर वर्ष (जनवरी से दिसम्बर तक 30 दिन का उपार्जित अवकाश देय है इसमें 1 जनवरी को 15 व 1 जुलाई को पुनः 15, प्रत्येक छः माही हेतु अग्रिम जमा होगें ।
  2. राजस्थान सशस्त्र पुलिस (R.A.C.) के सदस्यों को एक कैलेण्डर वर्ष में 42 दिन का उपार्जित अवकाश देय होगा तथा प्रत्येक छः माही हेतु 1 जनवरी व 1 जुलाई को 21, 21 दिन के उपार्जित अवकाश जमा किये जायेंगे।
  3. विश्रामकालीन विभागों यथा विद्यालयों, पॉलिटेक्निक संस्थाओं, कला व विज्ञान महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों को एक कैलेण्डर वर्ष में 15 दिन का उपार्जित अवकाश देय है तथा सेवा के प्रत्येक पूर्ण मास के लिए 1-1/4 की दर से उपार्जित अवकाश देय होगा।
  4. दीवानी न्यायालय के अधिकारी अथवा कर्मचारी को एक कैलेण्डर वर्ष में 12 दिन का उपार्जित अवकाश देय है जो क्रमशः 1 जनवरी तथा 1 जुलाई को 6-6 की संख्या में अग्रिम में जमा किया जायेगें।
  5. किसी कैलेण्डर वर्ष के दौरान नियुक्त किये गये अथवा स्थायी किये गये सरकारी कर्मचारी को अथवा किसी कैलेण्डर वर्ष के दौरान त्याग पत्र, सेवा की समाप्ति या सेवा में रहते हुए मृत्यु या सेवा निवृति के मामले में निम्न प्रकार उपार्जित अवकाश जोड़े जायेगे
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6.राजस्थान सिविल सर्विस Joining Time Rules 1981 के नियम 5 (4) अनुसार अधिकतम 15 दिवस तक Joining time / पद भार ग्रहणकाल यदि उपभोग नहीं किया जाता है तो वह अवधि उपार्जित अवकाश लेखों में जुड़ जाती है जो अधिकतम 15 दिवस (अधिकतम कार्य ग्रहणकाल) तक हो सकती है व आंशिक उपभोग के क्रम में शेष जुड़ सकती है। ( अधिकतम 15 दिवस की सीमा के अध्यधीन)

7.अवकाश लेखों में उपार्जित अवकाश अधिकतम 315 दिवस तक जमा किये जा सकते है व अवकाश में उपभोग किये जा सकते हैं।

8. सेवा निवृति पर अधिकतम अनुपयोगी 300 दिवस उपार्जित अवकाश का भुगतान प्राप्त किया जा सकता है तथा यह अन्तिम आहरित वेतन व उस पर देय मंहगाई भत्ते के अनुसार अवकाश वेतन की राशि होती है।

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यह अधिवार्षिकी, असमर्थता व क्षतिपूरक पेंशन या निवृति पेंशन के क्रम में ही देय है।

  1. सेवा में रहते हुए स्थायी राज्य कार्मिक को एक वित्तीय वर्ष में (1 अप्रैल से 31 मार्च) 15 दिवस का उपार्जित अवकाश समर्पित करने पर व नगद भुगतान हेतु आवेदन करने पर 15 दिवस के उपार्जित अवकाश के एवज में नकद भुगतान देय है कर्मिक चाहे तो 15 दिवस के उपार्जित अवकाश जोडे रख सकता है अथवा इनको समर्पित कर अवकाश वेतन की राशि आवेदन की दिनांक के समय के मूल वेतन तथा उस पर प्रभावी मंहगाई भत्ते की दर से प्राप्त कर सकता है। अवकाश स्वीकृक्ति कर्ता प्राधिकारी ही अवकाश वेतन स्वीकृति कर्ता होगा।
  2. सेवा में रहते हुए सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की दशा में उसके जमा उपार्जित अवकाश अधिकतम 300 दिवस की सीमा अध्यधीन मृत्यु की तारीख को स्वीकार्य वेतन एवं उस पर स्वीकार्य मंहगाई भत्ते की राशि के बराबर की एक मुश्त राशि का भुगतान उसकी विधवा / बच्चों को किया जायेगा।
  3. विश्वामकालीन विभागों में यदि किसी कैलेण्डर वर्ष में विश्राम काल का कतई उपभोग नही किया गया हो तो ऐसे विश्राम काल की समप्ति पर 15 दिवस का उपार्जित अवकाश अतिरिक्त देय होगा।
  1. दीवानी न्यायालय के कार्मिकों हेतु विश्राम काल का कतई उपभोग नहीं करने की स्थिति में विश्राम काल में एवज में 12 दिनों का उपार्जित अवकाश अतिरिक्त जोड़ा जायेगा।
  2. यदि कोई राजकीय कार्मिक सेवाकाल के किसी छमाही में ( कलेण्डर वर्ष अन्तर्गत) असाधारण अवकाश लेता है तो प्रत्येक 10 दिन के असाधारण अवकाश पर उपार्जित अवकाश लेखे में से एक उपार्जित अवकाश कम कर दिया जायेगा जिसकी अधिकतम सीमा सिविल विभाग हेतु 15 दिन, न्यायिक विभाग हेतु 6 दिन व राजस्थान सशस्त्र पुलिस हेतु 21 दिन प्रति प्रत्येक छमाही है। असाधारण अवकाश की संख्या यदि 5 से कम है तो उपार्जित अवकाश की कोई कटौती नही की जायेगी व 5 से 10 दिन तक के असाधारण अवकाश हेतु 1 दिन का उपार्जित अवकाश कम होगा। 10 के गुणांक में असाधारण अवकाश नहीं होने पर व 5 से 10 दिन तक के लिये असाधारण अवकाश होने पर 1 उपार्जित अवकाश कम होगा (वित्त विभाग केस्पष्टीकरण दिनांक 15.07.2020 के अनुसार)
  1. विश्राम काल का उपयोग अन्य अवकाशों के साथ निरन्तरता में किया जा सकता है परन्तु विश्राम काल अवधि तथा उपार्जित अवकाश अवधि कुल 120 दिवस से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  2. एक बार में अधिकतम 120 दिवस का उपार्जित अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। परन्तु T.B., Cancer, Leprosy अथवा Mental Disease में अधिकतम 240 दिवस (कार्मिक के खाते में यथा स्थिति अनुसार) स्वीकृत किया जा सकता है।

अर्द्धवेतन अवकाश (Half Pay Leave)

  1. कार्मिक की नियुक्ति तिथि से प्रत्येक पूर्ण वर्ष की सेवा पर 20 अर्द्धवेतन अवकाश देय है। प्रोबेशनर ट्रेनी हेतु स्थायीकरण तिथि से / प्रोबेशन समाप्ति की आगामी तिथि से प्रत्येक पूर्ण वर्ष की सेवा पर 20 अर्द्धवेतन अवकाश देय है।
  2. किसी भी प्रकार का अवकाश निम्न दो कारणों से लिया जा सकता है।

(अ) निजी कारणों से

(ब) चिकित्सकीय कारणों से / प्रमाण पत्र के आधार पर

  1. रूपान्तिरित अवकाश (Commuted leave )- जब चिकित्सकीय आधार पर अर्द्धवेतन अवकाशों को पूर्ण वेतन अवकाश में बदला जाता है तो उसे अवकाश का रूपान्तरण कहा जाता है यह केवल चिकित्सकीय आधार पर होता है तथा कुल देय अर्द्धवेतन अवकाशों की आधी संख्या तक ही उक्त प्रकार से रूपान्तरण कराया जा सकता हैं। इसमें दुगुनी संख्या में अर्द्धवेतन अवकाश घटा दिये जाते है तथा पूर्ण वेतन, अवकाश अवधि का दे दिया जाता है।
  2. देय अर्द्धवेतन अवकाशों में से अधिकतम 180 दिन तक के अर्द्धवेतन अवकाशों को अध्ययन / पाठ्यक्रम जो सार्वजनिक हित में हो, के आधार पर भी रूपान्तिरित कराया जा सकता है। ऐसा रूपान्तरण किसी अनुमोदित पाठ्यक्रम के लिए होनाचाहिए तथा अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी को सन्तुष्ट होना चाहिए की अवकाशों की समाप्ति पर कर्मचारी के वापस सेवा में उपस्थित होने की पूर्ण सम्भावनाएं हैं।

अदेय अवकाश (Leave Not Due)

यदि स्थायी राजकीय कार्मिक के अवकाश खाते में अवकाशों की उपलब्धता न हो तो अदेय अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है

जो सम्पूर्ण सेवा काल में 360 दिन सीमा के अध्यधीन उस अनुमत संख्या के आधार पर होगा जो कर्मचारी ऐसे अवकाशों से वापस आकर उतनी ही संख्या में अर्धवेतन अवकाश अर्जित कर सके ।

चिकित्सकीय प्रमाण पत्र के आधार पर 180 दिन तक का अदेय अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है तथा शेष अन्य आधार पर स्वीकृत किया जा सकेगा, एक समय में अधिकतम १० दिवस तक का अदेय अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। अदेय अवकाश में अर्द्धवेतन अवकाश डेबिट होंगे तथा भविष्य में अर्जित किये जाने वाले अर्द्धवेतन अवकाशों से समायोजित होगें।

यदि अर्द्धवेतन अवकाश अथवा अदेय अवकाश के दौरान कार्मिक की या तो मृत्यु हो जाती है अथवा असमर्थता आधार पर सेवानिवृत कर दिया जाता है या अनिवार्य रूप से सेवा निवृत कर दिया जाता है तो उससे उक्त अवकाश वेतन सम्बन्धी कोई वसूली नहीं की जाएंगी व अन्य समस्त मामलों में की जायेगी यथा त्यागपत्र देने, स्वैच्छिक सेवा निवृति, सेवा से बर्खास्त इत्यादि ।

अध्ययन अवकाश (Study Leave)

यह स्थायी राज्य कर्मचारी को दिया जाता हैं। यह उन अस्थायी राज्य कर्मचारियों को भी देय है जिन्होनें 3 वर्ष की निरन्तर सेवा पूर्ण कर कर ली हो तथा जो या तो राजस्थान लोक सेवा आयोग की अभिशंषा पर नियुक्त किये गये हों या संविधान के अनुच्छेद 309 के अन्तर्गत विहित भर्ती नियमों के तहत नियुक्त हो, उपर्युक्त श्रेणी में नहीं आने वाले अस्थायी राज्य कर्मचारी को उच्च अध्ययन हेतु नियमों में शिथिलता देकर दो वर्ष का असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। 20 वर्ष या अधिक की सेवा पूर्ण करने वाले कर्मचारियों को अध्ययन अवकाश साधारणतः स्वीकार नहीं किया जाना चाहिये।

अध्ययन अवकाश केवल इस आधार पर स्वीकृत किया जायेगा कि जिसमें किया जा रहा अध्ययन/ पाठ्यक्रम अनुसंधान / प्रशिक्षण सम्बन्धित कार्मिक के नियोजित कार्य काल के विभागीय कार्य के हित में हो तथा इससे राज्य कार्य में बाधा तथा Cadre प्रबन्धन सम्बन्धित अड़चन उत्पन्न न हो। अध्ययन अवकाश की उपर्युक्त अधिकतम अवधि एक बार में 12 माह तथा पूर्ण सेवा काल के लिए 2 वर्ष हो सकती है जिसका उपभोग एक अवसर या एक से अधिक अवसरों पर किया जा सकता है व अध्ययन की अवधि अधिक होने पर अन्य प्रकार के अवकाशों के साथ या अन्यथा कारणों से भी अन्य प्रकार के अवकाशों के साथ उपभोग किया जा सकता है ऐसे उपभोग हेतु नियमित कर्तव्यों से अनुपस्थिति 28 माह से अधिक की स्वीकृत नहीं की जायेगी परन्तु असाधारण अवकाश समायोजन में यह सीमा लागू नही होगी। इंजीनियर का डिप्लोमा धारक व्यक्ति डिग्री प्राप्त करने हेतु 24 माह की अवधि का अध्ययन अवकाश और 1 वर्ष अतिरिक्त का अन्य अवकाश जो उसे देय और अनुज्ञ हो स्वीकृत किया जा सकता है अथवा अन्य अवकाश न होने पर 1 वर्ष तक का असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है तथा अस्थायी इंजीनियरिंग कार्मिक जिसने निरन्तर 3 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो, को डिग्री प्राप्त करने हेतु 3 वर्ष तक का असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। स्वास्थ्य सेवा अंतर्गत चिकित्सकों को P.G. डिग्री हेतु ३ वर्ष का अध्ययन अवकाश देय हैं।

अध्ययन अवकाश अर्द्धवेतन पर अतिरिक्त अवकाश होता है तथा इसका लेखा सामान्य अर्द्धवेतन अवकाशों से पृथक एवं गणना भी पृथक की जाती है।

अध्ययन अवकाशों के लिए प्रार्थना पत्र राजस्थान लेखा सेवा अधिकारी के मार्फत अवकाश स्वीकृत कर्ता प्राधिकारी को प्रस्तुत किये जायेंगे तथा अध्ययन / पाठ्यक्रम / परीक्षा / अनुसंधान का स्पष्ट विवरण दिया जायेगा। अन्य अवकाशों को अध्ययन अवकाश में परिवर्तित करने हेतु अध्ययन का पूर्ण कार्यक्रम तथा प्रस्तावित पाठ्यक्रम के प्रमाण में साक्ष्य प्रस्तुत करने चाहिए । अध्ययन अवकाश की पूर्ति पर पाठ्यक्रम पूर्ण करने का प्रमाण पत्र / उत्तीर्ण परीक्षा / विशेष अध्ययन का प्रमाण पत्र संलग्न किया जायेगा।

चूंकि अध्ययन अवकाश पर अर्द्धवेतन देय है अतः पदोन्नति अथवा पेंशन के लिए सेवा अवधि समझा जायेगा।

अध्ययन भत्ता-

सरकार अध्ययन अवकाश में विहित अवधि हेतु अध्ययन भत्ता स्वीकृत कर सकती है।

अध्ययन अवकाश की अवधि में राजकीय अथवा गैर राजकीय स्त्रोतों से छात्रवृत्ति / Stipend वेतन के अतिरिक्त प्राप्त करने की स्वीकृति दी जा सकती है तथा ऐसी स्थिति में पाठ्यक्रम शुल्क जो अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में सरकार द्वारा दिया जाने का प्रावधान है वह नही दिया जायेगा तथा साधारणतया कोई अध्ययन भत्ता स्वीकृत नहीं किया जायेगा। परन्तु यदि छात्रवृत्ति में से शिक्षण शुल्क काटकर अध्ययन भत्ते से कम हो तो छात्रवृत्ति के साथ अध्ययन भत्ते की उक्त प्रकार अन्तर राशि विशेष स्वीकृक्ति सेस्वीकृत की जा सकती है। यदि अध्ययन अवकाश का उपयोग प्रशिक्षण के लिए किया जाता है तो वापस आकर राज्य सेवा करने हेतु बन्ध पत्र भरा जायेगा जो राज सेवा नियम मूल पुस्तक के परिशिष्ट XVIII के अनुसार होगा। अध्ययन अवकाश पश्चात जो कार्मिक सेवा पर लौटे बिना ही सेवा से त्याग पत्र दे देते है सेवा निवृत हो जाते है उनसे अवकाश वेतन, अध्ययन भत्ता कोई शुल्क (जो दिया हो), यात्रा व अन्य भत्तों के व्यय की दुगुनी राशि ब्याज सहित वसूलनीय होगी जो बन्ध पत्र परिशिष्ट XVIII उल्लिखित अनुसार है जो समस्त स्थायी व अस्थायी कर्मिकों पर लागू है। यदि असाधारण अवकाश स्वीकृत किया गया है तो उनके अवकाश काल में रिक्त हुए पद पर कार्य करने के लिए अन्य व्यक्ति की नियुक्ति पर हुए व्यय की राशि को मिलाकर दुगुनी वसूलनीय होगी।

पितृत्व अवकाश (Paternity Leave)

  1. अधिकतम 2 बार पुरूष सरकारी कार्मिक को देय है।
  2. पत्नी की प्रसव अवस्थाओं के दौरान बच्चे के जन्म के 15 दिन पूर्व से 3 माह तक अधिकतम 15 दिन की अवधि का पितृत्व अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा एवं इसका उपभोग नहीं किया जाता है तो यह व्यपगत समझा जायेगा।
  3. पितृत्व अवकाश पत्नी के गर्भस्त्राव सहित गर्भपात के मामले में स्वीकार नहीं किया जायेगा।
  4. अवकाश पर जाने से ठीक पूर्व का अवकाश वेतन आहरित किया जायेगा।
  5. इसकी प्रविष्टि सेवा पुस्तिका में पृथक अवकाश लेखे के रूप में की जायेगी।

विशेष असमर्थता अवकाश (Special Disability Leave)

  1. कर्त्तव्यों की उचित पालना करते हुए अथवा राजकीय स्थिति के कारण कोई चोट लगी हो या चोट पहुँचाई गई हो जिसके कारण असमर्थता उत्पन्न हो तो विशेष असमर्थता अवकाश (Special Disability Leave) दिया जाता है।
  2. चिकित्सा मंडल (Medical Board) द्वारा’ आवश्यक’ प्रमाणित के आधार पर विशेष असमर्थता अवकाश की अवधि होगी।
  3. असमर्थता, घटना के तीन माह में प्रकट होने पर विशेष असमर्थता अवकाश देय है परन्तु यदि 3 माह से अधिक समय में असमर्थता ज्ञात हो एवं अवकाश स्वीकृति कर्ता प्राधिकारी असमर्थता के कारण से संतुष्ट हो तो यह अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
  4. 4 R.A.C. पुलिस बटालियन के मामले में चिकित्सक मण्डल निम्न प्रकार होगा
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बालक देखभाल अवकाश (Child Care Leave / CCL)

राजस्थान सरकार, वित्त विभाग द्वारा 22 मई, 2018 से राजस्थान सेवा नियमों में नियम 103-C जोड़ा गया, जिसके अनुसार किसी महिला सरकारी कर्मचारी को एवं एकल पुरूष सरकारी कर्मचारी को उसके सम्पूर्ण सेवा काल में अवकाश स्वीकृत करने वाले सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिकतम 2 वर्ष की अवधि अर्थात् 730 दिन के लिए अपने 2 सबसे बड़े उत्तरजीवी संतान की देखभाल, लालन-पालन, परीक्षा, बीमारी या अन्य आवश्यकताओं के क्रम में बालक देखभाल अवकाश का प्रावधान किया गया।

उक्त नियम में बालक/child का अभिप्राय है-

  1. 18 वर्ष से कम आयु की संतान
  2. 40 प्रतिशत न्यूनतम निःशक्तता संतान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार की अधिसूचना क्रमांक 16-18/97-NI, दिनांक 01.06.2001 अंतर्गत आजीवन (आयु सीमा का प्रावधान नहीं है)

Child Care Leave/ CCL में निम्न प्रावधान हैं:-

  1. Child Care Leave / CCL पर महिला राजकीय कार्मिक अथवा एकल राजकीय पुरुष कार्मिक अवकाश पर प्रस्थान से तत्काल पूर्व आहरित वेतन के बराबर अवकाश वेतन प्राप्त करेंगे।
  2. यह अवकाश अन्य प्रकार के बकाया व अनुज्ञेय अवकाश के साथ जोड़ा जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा निर्धारितप्रारूप में आवेदन अवकाश स्वीकृक्तिकर्ता प्राधिकारी को स्वीकृति हेतु समय पर प्रस्तुत करना चाहिए ।
  3. अन्य समस्त प्रकार के अवकाशों की भांति Child Care Leave भी अधिकार नहीं है एवं बिना स्वीकृति के इस पर प्रस्थान नहीं किया जा सकता। बिना अवकाश स्वीकृत कराए अप्राधिकृत अवकाश पर रहना और CCL का आवेदन कर उसे नियमित करने का प्रयत्न करना सर्वथा अनुचित है व ऐसा करने पर यह किसी भी परिस्थिति में स्वीकृत नहीं की जाएगी। अन्य प्रकार के अवकाशों का CCL में रूपान्तरण नहीं किया जा सकता व अन्य किसी अवकाश काल में इसको Debit नहीं किया जाएगा। इसका पृथक लेखा संधारित किया जाएगा और सेवा पुस्तिका में चिपकाया जाएगा।
  4. CCL जनहित में कार्यालयी व्यवस्थाओं एवं विभागीय लक्ष्यों की प्राप्ति के आधार पर अवकाश स्वीकृतिकर्ता प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत अथवा अस्वीकृत किया जाएगा। एक कैलेण्डर वर्ष में (जनवरी से दिसंबर) यह अवकाश 3 बार से ज्यादा स्वीकृत नहीं किया जाएगा यदि निरंतर अवकाश एक कैलेण्डर वर्ष में प्रारंभ होकर दूसरे कैलेण्डर वर्ष में समाप्त होता है तो जिस कैलेण्डर वर्ष में यह प्रारंभ हुआ था उसी से संबंधित माना जाएगा।
  5. यह सामान्यतः प्रोबेशनर ट्रेनी को स्वीकृत नहीं किया जाएगा लेकिन विशेष परिस्थितियों में स्वीकृत किये जाने पर परिवीक्षा काल उतनी अवधि के लिए बढ़ा दिया जाएगा।
  6. उपरोक्त अवकाश स्वीकृति की भांति ही यह अवकाश माना जाना चाहिए ।
  7. CCL के पहले (Prefix) व बाद में (Suffix) रविवार व अन्य सार्वजनिक अवकाश उपयोग किये जा सकते हैं व अवकाश की अवधि के बीच में पड़ने वाले सार्वजनिक अवकाश या सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य अवकाश CCL में गिने जाएंगे।
  8. बालक / child की निःशक्तता की स्थिति में निःशक्त बच्चे का आश्रित प्रमाण पत्र तथा सक्षम प्राधिकारी / चिकित्सा बोर्ड द्वारा जारी निःशक्तता दस्तावेज आवश्यक होंगे। 18 वर्ष से कम आयु की संतान यदि विदेश में हैं तो उसकी बीमारी अथवा परीक्षाओं हेतु CCL क्रमशः प्राधिकृत डॉक्टर अथवा शैक्षणिक संस्था जैसी भी स्थिति हो द्वारा जारी प्रमाण-पत्र के आधार पर स्वीकृत की जाएगी व सरकारी कार्मिक को भारत से बाहर जाने से संबंधित अवकाश में समस्त अनुदेशों / नियमों की पालना करनी होगी व ऐसे अवकाश की 80 प्रतिशत अवधि उस देश में व्यतीत करनी होगी जिस देश में संतान रह रही है।
  9. भारत या विदेश में संतान की परीक्षा के समय जो संतान हॉस्टल में रह रही है सरकारी कार्मिक को यह प्रमाणित करनाहोगा कि संतान की आवश्यकताओं की देखभाल कैसे की जाएगी।

असाधारण अवकाश (Extraordinary Leave)

1. असाधारण अवकाश, अन्य कोई अवकाश देय नहीं हो अथवा अन्य अवकाश देय हो किंतु कार्मिक द्वारा लिखित में असाधारण अवकाश स्वीकृक्ति हेतु ही आवेदन किया गया हो, तब ही स्वीकृत किया जा सकता है।

  1. अस्थायी सेवा कार्मिकों को एक समय पर 3 या 18 माह तक का असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। मान्यता प्राप्त अस्पतालों में क्षय रोग, तपेदिक, T. B., कुष्ठ रोग के उपचार पर अधिक एवं लंबे समय का असाधारण अवकाश स्वीकृत करने पर अवकाश समाप्ति पर पुनः पदभार ग्रहण से अर्जित अर्द्धवेतन अवकाशों में से पूर्व असाधारण अवकाशों को समायोजित/परिवर्तित किया जा सकता है। 18 माह तक का असाधारण अवकाश उन्हीं अस्थायी कर्मचारियों को दिया जाएगा जो एक वर्ष से अधिक समय से सेवा में हैं। सामान्यतः अस्थायी कार्मिक केवल 3 माह तक के असाधारण अवकाश का अधिकारी है व तत्पश्चात् वित्त विभाग की पूर्व सहमति से ही अवकाश आगे स्वीकृत किया जा सकता है।
  2. स्थायी कार्मिक को 24 माह तक की अवधि के लिए (अध्ययन अवकाश सहित) असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जासकता है व 24 माह से अधिक का अवकाश वित्त विभाग की पूर्व अनुमति से ही स्वीकृत किया जा सकता है।
  1. अस्थायी महिला राज्य कार्मिक जो सुरक्षा सेवाओं के कार्मिकों की पत्नियां हैं व फैमिली से दूर नियुक्तहैं उन्हें 6 माह तक का असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
  1. असाधारण अवकाश लेने पर किसी भी प्रकार का वेतन प्राप्त नहीं होगा।
  2. निर्धारित चयन प्रक्रिया से हुई नियुक्ति जिसमें 3 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण कर ली गई हो उन्हें असाधारण अवकाश स्थायी कार्मिकों की भांति ही स्वीकृत किया जाएगा।
  1. हड़ताल/सामूहिक अवकाश / कार्य का बहिष्कार अवधि को असाधारण अवकाश स्वीकृत कर ही नियमित किया जाएगा तथा नहीं किया तो “काम नहीं तो वेतन नहीं” के सिद्धांत पर ही प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा। हड़ताल अवधि के दौरान उपार्जित अवकाश भी अर्जित नहीं होगा (तथा उपरोक्त अवकाश का नियमानुसार प्रत्येक 10 दिन के असाधारण अवकाश पर एक दिन का उपार्जित अवकाश कम कर दिया जाएगा, जिसकी सीमा 15 दिवस अधिकतम सिविल विभागों में, सशस्त्र पुलिस कर्मियों में 21 दिन दीवानी न्यायालय में 6 दिन प्रत्येक छमाही हेतु होगी) पर हड़ताल अवधि वार्षिक वेतन वृद्धि एवं पेंशन योग्य सेवा सहित अन्य सभी प्रयोजनों हेतु योग्य सेवा होगी तथा इसका प्रभावी सेवा/पेंशन पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं होगा।