Site logo

सच्ची बुद्धिमत्ता की कहानी: आत्म-नियंत्रण और अंतर्दृष्टि का महत्व

🍃🌾🌾

12 फरवरी 2024

🦋 आज का संदेश 🦋

!! ज्ञान का महत्व !!
~~~~~

किसी समय की बात है, जब वर्तमान की तरह विद्यालय नहीं होते थे। उस समय गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली थी, जहाँ छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में निवास करते थे। उन्हीं दिनों की एक कहानी है, एक प्रतिष्ठित गुरुकुल था, जिसका नेतृत्व विद्वान पंडित राधे गुप्त करते थे। उनके गुरुकुल में दूर-दूर से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने आते थे।

पंडित राधे गुप्त की पत्नी का निधन हो चुका था और उनकी एक विवाह योग्य पुत्री थी। वे अपनी पुत्री का विवाह एक बुद्धिमान और योग्य वर से करना चाहते थे। एक दिन उन्होंने निश्चय किया कि वे अपने गुरुकुल के शिष्यों में से ही एक उपयुक्त वर चुनेंगे।

इस उद्देश्य से, उन्होंने एक अनूठी परीक्षा का आयोजन किया। उन्होंने शिष्यों को एकत्रित किया और उनसे कहा कि वे विवाह सामग्री एकत्र करें, चाहे उसके लिए उन्हें चोरी ही क्यों न करनी पड़े। हालांकि, एक शर्त थी कि चोरी करते समय किसी की नज़र उन पर न पड़े।

जहाँ सभी शिष्य कार्य में जुट गए, वहीं रामास्वामी, जो कि एक प्रतिभाशाली शिष्य थे, एक पेड़ के नीचे विचारमग्न बैठे थे। जब गुरुजी ने उनसे पूछा, तो रामास्वामी ने उत्तर दिया, “आपने कहा था कि चोरी करते समय कोई हमें देख नहीं पाना चाहिए, पर जब हम चोरी करते हैं तो हमारी अंतरात्मा हमें देख रही होती है। हम अपनी अंतरात्मा से कैसे छिप सकते हैं? इसलिए, चोरी करना उचित नहीं है।”

रामास्वामी के इस उत्तर से राधे गुप्त अत्यधिक प्रसन्न हुए। उन्होंने तत्काल सभी शिष्यों को एकत्रित किया और उनसे पूछा, “तुम सभी ने चोरी की… क्या किसी ने तुम्हें देखा?” सभी शिष्यों ने नकारात्मक में उत्तर दिया। तब राधे गुप्त ने कहा, “क्या तुम अपनी अंतरात्मा से इस चोरी को छुपा पाए?” सभी शिष्यों ने शीष झुका लिया।

इस तरह, राधे गुप्त को अपनी पुत्री के लिए योग्य वर मिल गया। उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह रामास्वामी के साथ किया और शिष्यों द्वारा चुराई गई वस्तुएं उनके मालिकों को लौटा दीं।

शिक्षा:
इस कथा से हमें सिखने को मिलता है कि हमारी अंतरात्मा हमेशा हमें सत्य का मार्ग दिखाती है। इसलिए, कोई भी कार्य करने से पहले हमें अपने आंतरिक आवाज़ को सुनना चाहिए, क्योंकि यही आवाज़ हमें सही दिशा में ले जाती है।

सदैव प्रसन्न रहें – जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है।
जिसका मन प्रसन्न है, उसके पास सब कुछ है।।