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जयशंकर प्रसाद (जन्म: 1889 ई. / मृत्यु 1937 ई.) जीवन परिचय- छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी नगरी में सन् 1889 में हुआ था। इनके पिता बाबू देवीप्रसाद विश्रानुरागी थे जिन्हें लोग सुधनी साहु कहकर बुलाते थे। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा का प्रबंध पहले घर पर ही हुआ। बाद में इन्हें क्वीन्स कॉलेज […]
कृपा राम खिडिया जीवन परिचय- कवि कृपाराम खिड़िया शाखा के चारण थे। इनके पिता का नाम जगराम जी था जो उराड़ी गाँव (वर्तमान पाली जिले में) के निवासी थे। सीकर नरेश देवीसिंह एवं उनके पुत्र रावराजा लक्ष्मण सिंह ने इनकी कवि प्रतिमा एवं विद्वत्ता से प्रभावित हो इन्हें क्रमशः महराजपुरा एवं लछमणपुरा गाँव की जागीर […]
देव (जन्म: संवत् 1730 वि. निधन 1824 वि.) जीवन परिचय – रीतिकालीन काव्य परम्परा में विशिष्ट स्थान रखने वाले कवि देव का जन्म विक्रम संवत 1730 वि. में हुआ। इन ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि ये इटावा के रहने वाले थे। इससंबंध में एक उक्ति प्रचलित है- “धीस-रिया कवि देव को नगर इटावो वास” […]
"The Beauty of Spring: The Arrival of Rituraj in the Poem of Class 10 Hindi Kshitij, NCERT - Senapati
लक्ष्मण-परशुराम संवाद: रामचरितमानस का कौशलपूर्ण विवाद वाल्मीकि रामायण के अनुगमन में लिखे गए महाकाव्य रामचरितमानस की बालकाण्ड में लक्ष्मण और परशुराम के बीच का संवाद एक कौशलपूर्ण विवाद का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह प्रसंग उस घटनाक्रम का हिस्सा है, जहाँ शिव धनुष तोड़ने के बाद क्रोधित परशुराम धनुष यज्ञ स्थल पर आते हैं। परशुराम का […]
तुलसीदास: भारतीय साहित्य के अमर कवि भारतीय साहित्य की विविध धाराओं में तुलसीदास का नाम उन महान कवियों में लिया जाता है जिन्होंने अपनी रचनाओं से न केवल भक्ति के स्वर को मुखरित किया बल्कि समाज के प्रति एक नई चेतना का संचार भी किया। तुलसीदास का जन्म संवत् 1589 के लगभग, उत्तरप्रदेश के बाँदा […]
वस्तुनिष्ठ प्रश्न: 1. ‘दूत मिल्यौ एक भौर से’ का आशय है: (क) भँवरा (ख) राधा (ग) गोपिकाएँ उत्तर: (क) भँवरा 2. ‘नागर नवल किसोर’ विशेषण किसके लिए आया है: (क) उद्धव (ख) गोप (ग) कृष्ण (घ) श्यामा उत्तर: (ग) कृष्ण अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न: 3. कृष्ण ‘गोरी’ संबोधन किसके लिए कर रहे हैं? उत्तर: कृष्ण ‘गोरी’ संबोधन […]
सूरदास सूरदास जी के पद (1) बूझत स्याम कौन तू गोरी। कहाँ रहति काकी है बेटी, देखी नहीं कबहूँ ब्रज-खोरी।। काहे को हम ब्रज-तन आवतिं, खेलत रहतिं आपनी पोरी। सुनत रहतिं स्रवननि नंद ढोटा, करत फिरत माखन दधि चोरी।। तुम्हरो कहा चोरि हम लैहें, खेलन चलो संग मिलि जोरी। सूरदास प्रभु रसिक सिरोमनि, बातनि भुरई […]
“क्षितिज भाग 2” कक्षा 10 के लिए एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित हिन्दी की पाठ्यपुस्तक है। यह पुस्तक विद्यार्थियों को हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं से परिचित कराती है और उनकी साहित्यिक समझ एवं व्याख्या क्षमता को विकसित करने के लिए डिजाइन की गई है। इसमें कविताएँ, नाटक, कहानियाँ, और जीवनी से लेकर अन्य साहित्यिक टुकड़े शामिल […]
लोकोक्तियाँ: सम्पूर्ण विस्तार लोकोक्ति एक ऐसी भाषा-शैली है जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों के बीच मौखिक रूप से प्रसारित होती है। यह एक संक्षिप्त वाक्य या वाक्यांश होता है जो किसी विशेष स्थिति, भावना या विचार को व्यक्त करता है। लोकोक्तियाँ अक्सर अनुभव, ज्ञान और जीवन के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। लोकोक्तियों के […]